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Blog Article
The novel touches upon themes of gender discrimination, dowry, along with the struggles confronted by Females in a male-dominated society. Premchand’s writing is characterised by its deep understanding of human mother nature and the socio-cultural backdrop of his time. Via Nirmala, he sheds light-weight within the injustices confronted by Gals and raises significant questions on morality, social conventions, and the need for societal reform.
पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।
एक समय की बात है। एक अमीर जमींदार रहता था, उसके पास कई जमीनें थीं लेकिन वह कंजूस था। पैसे उधार देते समय वह बहुत सतर्क रहता था। इसलिए, गांव के किसान कभी भी उसकी जमीन पर खेती करने के लिए तैयार नहीं हुए। प्रत्येक बीतते दिन के साथ, ज़मींदार की ज़मीन अपनी जल धारण शक्ति खोने लगी और बंजर बन गई।
Within the extensive domain of literature, Hindi language fiction stands like a testament on the abundant cultural landscape of India. Hindi literature has developed over the years, giving viewers a kaleidoscope of narratives that replicate the myriad aspects of human knowledge.
इस कहानी से हमे क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?
पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।
With this novel, a young boy Bunti appears for the developed-up world of his loved ones by means of his little one eyes and wounded eyes. But whether or not this novel is about Bunti or his mom Shakun is actually a bone of rivalry. Shakun’s ambitions and self-great importance for herself is often a problem for the family, in the long run bringing about her separation from her husband. In this conflict involving a partner a spouse, it is Bunti who suffers quite possibly the most. The novel is extremely acclaimed and praised for its comprehension of youngster psychology.
कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।
वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।
शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। click here केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क
माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन
सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।
मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।
मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।